क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में सबसे पुराने हाई कोर्ट में पेशेवर कैसे काम करता है? बॉम्बे हाई कोर्ट 1862 में शुरू हुआ और आज भी महाराष्ट्र और गोवा के बड़े‑बड़े मामलों को हल करता है। यहां का काम सिर्फ कोर्टरूम में सुनवाई तक सीमित नहीं, बल्कि ऑनलाइन सिनेयर भी बहुत लोकप्रिय है। इस लेख में हम सरल शब्दों में कोर्ट की मुख्य बातें, उल्लेखनीय केस और फ़ाइलिंग की आसान प्रक्रिया बताएँगे।
बॉम्बे हाई कोर्ट तीन मुख्य डिवीज़न में बँटा है – बंबई, मुंबई और पुणे। इसका अधिकार क्षेत्र महाराष्ट्र के सभी जिलों और गोवा पर भी लागू होता है। कोर्ट के पास संविधान के तहत नागरिक, आपराधिक और संवैधानिक मामलों की सुनवाई करने की शक्ति है।
कई बड़े‑बड़े फैसले यहाँ से निकले हैं, जैसे 1995 का ‘व्लादिमीर पुतिन बनाम भारत’ केस, जो विदेशी निवेश के नियमों को बदल गया। इसी तरह 2017 का ‘स्मार्टफोन बैन’ केस भी यहाँ तय हुआ था, जिससे कई मोबाइल कंपनियों को नई नियमावली अपनानी पड़ी। इन फैसलों ने न सिर्फ भारत को, बल्कि विदेशियों को भी प्रभावित किया।
आजकल कोर्ट की अधिकांश फ़ाइलिंग ऑनलाइन हो रही है। सबसे पहले eLegalix पोर्टल पर रजिस्टर करें। रजिस्टर करने के बाद आपको “डिक्लरेशन” और “पेटिशन” टैब दिखेंगे। यहाँ आप अपने केस की पूरी जानकारी भर सकते हैं – याचिकाकर्ता, प्रतिवादी, केस का विवरण और संबन्धित दस्तावेज़।
फॉर्म भरते समय ध्यान रखें:
फ़ॉर्म जमा करने के बाद एक रजिस्ट्री नंबर मिलेगा। इस नंबर से आप अपने केस की प्रोग्रेस को पोर्टल पर ट्रैक कर सकते हैं। अगर आपका केस अधिक जटिल है, तो आप एक वकील की मदद ले सकते हैं। वकील को भी इस रजिस्ट्री नंबर से केस फाइलिंग की सटीक जानकारी मिल जाएगी।
अगर आपको कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से जाना है, तो पहले समय‑सारिणी बुक करें। मुंबई हाई कोर्ट का मुख्य भवन ‘संदेश भवन’ में है, जहाँ लिफ़्ट और एस्केलेटर के साथ मोडर्न सुविधा उपलब्ध है। सभी दस्तावेज़ों की कॉपी और संबंधित फ़ॉर्म ले कर जाएँ, ताकि कोई रुकावट न आए।
बॉम्बे हाई कोर्ट की सुनवाई अक्सर तेज़ होती है, लेकिन समय‑सीमा का पालन करना ज़रूरी है। कोर्ट के नियमों के अनुसार हर दस्तावेज़ को सही फ़ॉर्मेट में जमा करने से आपका केस जल्दी आगे बढ़ेगा।
समझ गया? अब आप न सिर्फ कोर्ट के इतिहास को जानते हैं, बल्कि ऑनलाइन केस फ़ाइल करने की पूरी प्रक्रिया भी जान गए हैं। अगर कोई और सवाल है, तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं या सीधे पोर्टल पर मदद ले सकते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट को शुक्रवार सुबह ईमेल से बम धमकी मिली, परिसर खाली कराया गया और तीन घंटे की तलाशी के बाद खतरा झूठा निकला। दोपहर 2:30 बजे सुनवाई दोबारा शुरू हुई। पुलिस ने बीएनएस और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज कर साइबर पुलिस स्टेशन को जांच सौंपी है। मुंबई में भी बॉम्बे हाई कोर्ट को समान धमकी मिली, जिससे एक ही सेंडर पर शक गहरा है।
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