अगर आप सर्दी या त्योहारी मौसम में कुछ मीठा चाहते हैं तो मालपुआ सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। यह दक्षिण भारतीय मिठाई है, लेकिन भारत के कई हिस्सों में लोग इसे बनाते हैं। सबसे बड़ी बात, इसे बनाना बहुत आसान है और आपके पास मौजूदा सामग्री ही काफी है। नीचे मैं आपको चरण‑दर‑चरण बता रहा हूँ ताकि आप इसे बिना किसी झंझट के तैयार कर सकें।
• मैदा – 1 कप
• दही (थोड़ा गाढ़ा) – ½ कप
• दूध – ½ कप (आवश्यकता अनुसार)
• चीनी – ¼ कप (पेस्ट के लिए) + तलने के लिए थोड़ा
• केसर या हल्दी – चुटकी भर (रंग और स्वाद के लिए)
• कटा हुआ हरा मेथा या सूखा मेवा (बादाम, काजू) – 2‑3 चम्मच
• घी या तेल – तलने के लिए पर्याप्त मात्रा
1. सबसे पहले एक बाउल में मैदा, दही और थोड़ा‑थोड़ा दूध डालें। घोल को गाढ़ा लेकिन लिक्विड रखें, जैसा पैनकेक बैटर हो।
2. इसमें केसर, हल्दी और चुटकी भर नमक डालें (नमक optional, लेकिन स्वाद बेहतर होता है)। फिर चीनी का पेस्ट मिलाएँ।
3. बैटर को 30‑40 मिनट के लिए ढककर रख दें, ताकि थोड़ा फर्मेंट हो और हल्का फूल जाए।
4. इस बीच, कटा हुआ मेवा तैयार रखें। तलने से पहले बैटर में थोड़ा‑बहुत मेवा मिला दें, इससे मालपुआ crunchy रहेगा।
5. अब कड़ाही में घी या तेल गरम करें। एक चम्मच बैटर लेकर हल्का गोल आकार दें, लगभग 8‑9 सेंटीमीटर व्यास वाला।
6. दोनों तरफ से सुनहरा भूरा होने तक तले। पकते समय हल्का दबा दें, ताकि लकीरें बनने की जगह सपाट हो जाए।
7. तलने के तुरंत बाद मालपुयों को गर्म ही शरबत में डुबोएँ। शरबत बनाने के लिए एक छोटे पैन में पानी, चीनी और केसर उबालें, फिर ठंडा कर लें।
8. मालपुयों को शरबत में 2‑3 मिनट तक रखें, फिर निकालकर थाली में रखें। ऊपर से थोड़ा और मेवा छिड़कें और गरम‑गरम सर्व करें।
ट्रिक: अगर बैटर बहुत पतला हो तो थोड़ा मैदा और जोड़ें, और अगर बहुत गाढ़ा लगे तो थोड़ा दूध या दही और मिलाएँ। इसी तरह आप अपनी पसंद के हिसाब से मिठास भी समायोजित कर सकते हैं। मालपुआ को दो दिन तक फ्रिज में रख सकते हैं, लेकिन ताजगी के लिए पहले दो‑तीन दिन में ही खा लेना बेहतर रहता है।
अब आप भी इस रेसिपी को फॉलो करके अपने परिवार या दोस्तों को आश्चर्यचकित कर सकते हैं। शिवरात्रि, होली या साधारण रविवार की चाय के साथ मालपुआ हमेशा हिट रहेगा। कोशिश करके बताइए, आपका मालपुआ कितना स्वादिष्ट बना!
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन कुश्मंदा माँ की आराधना के साथ पीले रंग का मालपुआ तैयार किया जाता है। लेख में माँ की कथा, पीले रंग का महत्व, दो प्रकार की मालपुआ रेसिपी और अन्य संभावित भोगों की विस्तार से जानकारी है। साथ ही मंत्र, प्रसाद वितरण और घर में आराधना के छोटे‑छोटे टिप्स भी दिए गये हैं।
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